जाट जैसा क्षत्री नहीं
ब्राह्मण जैसा सलाहकार
राजपूत जैसा दक्षराज नहीं
बाणिये जैसा व्यापार
उस हथियार बरगी रीस नहीं
जो बणावै सिर्फ लौहार
आभूषण कित तै पहरो गे
जै ना रहे सुनार
माटी नै भगवान बणादे
यो हुनर राख्यै कुम्हार
खाती बिना फर्नीचर नहीं
ना लाग्यै ईंट का एक बी सार।
बिना फिटनस बी लत्ता जच्चै
सिर्फ दर्जी ईसा कलाकार।
जोग्गी चढ़ावा ना लेंगें तो
क्युकर कटैंगे पाप विकार।
नौन्दे बी देवै, बाल बी काटै
नाई देगा कती सिंगार।
सारे परिवार राखो भाईचारा
गाम मै हो चाहै बाहर
मत पाड़ौ ईस हरियाणे नै
राजनीती में फसकै यार..
जय भाईचारा,जय हरियाणा
भाईचारे का संदेश देने वाली यह कविता जब घूमती हुई सोशल साइट के माध्यम से हम तक पहुंची तो हमसे शेयर किए बिना न रहा गया।
नमन है कवि को।
#copied from Dinesh Sharma
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