Tuesday, 12 December 2017

भाईचारे का सन्देश देने वाली अजब कविता

जाट जैसा क्षत्री नहीं
ब्राह्मण जैसा सलाहकार
राजपूत जैसा दक्षराज नहीं
बाणिये जैसा व्यापार

उस हथियार बरगी रीस नहीं
जो बणावै सिर्फ लौहार
आभूषण कित तै पहरो गे
जै ना रहे सुनार

माटी नै भगवान बणादे
यो हुनर राख्यै कुम्हार
खाती बिना फर्नीचर नहीं
ना लाग्यै ईंट का एक बी सार।

बिना फिटनस बी लत्ता जच्चै
सिर्फ दर्जी ईसा कलाकार।
जोग्गी चढ़ावा ना लेंगें तो
क्युकर कटैंगे पाप विकार।

नौन्दे बी देवै, बाल बी काटै
नाई देगा कती सिंगार।
सारे परिवार राखो भाईचारा
गाम मै हो चाहै बाहर
मत पाड़ौ ईस हरियाणे नै
राजनीती में फसकै यार..

जय भाईचारा,जय हरियाणा

भाईचारे का संदेश देने वाली यह कविता जब घूमती हुई सोशल साइट के माध्यम से हम तक पहुंची तो हमसे शेयर किए बिना न रहा गया।
नमन है कवि को।
#copied from Dinesh Sharma

No comments:

Post a Comment