जानिए उनके एक जबरदस्त युद्ध के बारे में-
मीर बक्शी ने 30 दिसंबर 1749 को मेवात पर आक्रमण कर दिया।
और नीमराना किले पर कब्जा कर लिया।इस विजय की खुशी में मीर बक्शी की सेना ने गौमाता को काटना शुरू कर दिया हिन्दुओ को नीचा दिखाने के लिए पीपल के पेड़ व मंदिरों को हटाना शुरू कर दिया।
इसका पता चलते ही 1 जनवरी 1750 को महाराजा सूरजमल ने अपने 5000 से 6000सैनिकों के साथ
नीमराणा पर अटैक कर दिया।मध्य प्रदेश के गोहद के जाट राजा भीम सिंह राणा के 200 घुड़सवार भी सुरजमल की सेना में शामिल हुए।
इस युद्ध मे मीर बक्शी के सेनापति हकीम खान और रुस्तम खान हजारो सैनिको के साथ बुरी तरह मारे गए।
और उनकी सारी सप्लाई काट दी गयी और मेरे बक्शी की सेना बंदी बना ली गयी।
मीर बक्शी जो कहीं दूसरे शहर में भागकर छुप गया था वह बाहर नही निकला और उसने किसी को भेजकर दया की भीख मांगी।
तब एक संधि की गई जिसकी शर्ते निम्नलिखित थी-
1.मीर बक्शी का कोई भी सैनिक अपने राज्य व बाहर गौहत्या नही करेगा।
2.कोई भी सनातन संस्कृति के प्रतीक पीपल के पेड़ को नही काटेगा।
3.कोई भी हिन्दू मंदिरों को नुकसान नही पहुंचाएगा और न ही हिन्दुओ की उपासना में व्यवधान पहुंचाएगा।
इस तरह मीर बक्शी ने महाराजा सूरजमल को युद्ध का सारा खर्चा भी वापिस किया और उसने कसम खाई के वह दोबारा ऐसा कभी नही करेगा।
जय हो हिन्दू ह्रदय सम्राट सूरज सुजान की।
जय जटवाड़ा।जय भारत।जय सनातन।
मीर बक्शी ने 30 दिसंबर 1749 को मेवात पर आक्रमण कर दिया।
और नीमराना किले पर कब्जा कर लिया।इस विजय की खुशी में मीर बक्शी की सेना ने गौमाता को काटना शुरू कर दिया हिन्दुओ को नीचा दिखाने के लिए पीपल के पेड़ व मंदिरों को हटाना शुरू कर दिया।
इसका पता चलते ही 1 जनवरी 1750 को महाराजा सूरजमल ने अपने 5000 से 6000सैनिकों के साथ
नीमराणा पर अटैक कर दिया।मध्य प्रदेश के गोहद के जाट राजा भीम सिंह राणा के 200 घुड़सवार भी सुरजमल की सेना में शामिल हुए।
इस युद्ध मे मीर बक्शी के सेनापति हकीम खान और रुस्तम खान हजारो सैनिको के साथ बुरी तरह मारे गए।
और उनकी सारी सप्लाई काट दी गयी और मेरे बक्शी की सेना बंदी बना ली गयी।
मीर बक्शी जो कहीं दूसरे शहर में भागकर छुप गया था वह बाहर नही निकला और उसने किसी को भेजकर दया की भीख मांगी।
तब एक संधि की गई जिसकी शर्ते निम्नलिखित थी-
1.मीर बक्शी का कोई भी सैनिक अपने राज्य व बाहर गौहत्या नही करेगा।
2.कोई भी सनातन संस्कृति के प्रतीक पीपल के पेड़ को नही काटेगा।
3.कोई भी हिन्दू मंदिरों को नुकसान नही पहुंचाएगा और न ही हिन्दुओ की उपासना में व्यवधान पहुंचाएगा।
इस तरह मीर बक्शी ने महाराजा सूरजमल को युद्ध का सारा खर्चा भी वापिस किया और उसने कसम खाई के वह दोबारा ऐसा कभी नही करेगा।
जय हो हिन्दू ह्रदय सम्राट सूरज सुजान की।
जय जटवाड़ा।जय भारत।जय सनातन।
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