Friday, 5 January 2018

वीरवर गौकुला जाट

Hindu veer, Jat
Veer Gaukula
वीर गौकुला का जन्म सिनसिनी ग्राम में हुआ।उनके पिता का नाम मदु/माडु जाट था जिन्होंने औरंगजेब की सेना से युद्ध किया था।

औरंगजेब ने इस्लाम न स्वीकार करने पर उनके पिता की जीते जी चमड़ी उधेड़ दी थी।

वीर गौकुला ने तिलपत में अपनी गढ़ी स्थापित की।उसके बाद वे पूरे उत्तर भारत मे घूमे।हिन्दुओ को औरंगजेब के अत्याचारों के खिलाफ जाग्रत किया।

उनका भाषण इतना तेजस्वी था कि हिन्दू माओ ने अपने बेटो को गौकुला के अभियान के लिए समर्पित कर दिया था।

उन्होंने हिन्दू युवकों के हाथों में हथियार दिए व 20000 युवकों की सेना तैयार की।

वे औरंगजेब के खिलाफ सशस्त्र क्रांति करने वाले पहले वीर यौद्धा थे।उन्होंने हिन्दू किसानों को औरंगजेब के खिलाफ असहयोग नीति अपनाने को कहा व उनके एक आह्वाहन पर किसानों ने लगान बन्द कर दिया व बाकी हिन्दुओ ने जजिया कर देना बंद कर दिया।

उन्होंने मंदिरों महिलाओं किसानों की रक्षा की।धर्म व देश की भक्ति उनकी रग रग में बसी हुई थी।

उन्होंने इस्लामी राक्षस औरंगजेब के सबसे कट्टर फौजदार अब्दुन्नबी खान का वध किया व हिन्दू युवाओ के मन से मुगलिया कर्मचारियों का खौफ निकाला।

इसके बाद हर जगह मुगलिया सरकार के कर्मचारियों को मार भगाना शुरू हुआ। औरंगजेब की सत्ता हिल गयी पूरे उत्तर भारत मे हिन्दू क्रांति की लहर दौड़ पड़ी।

औरंगजेब ने उसे सन्धि का प्रस्ताव भेजा व जागीर का लालच दिया।लेकिन गौकुला ने साफ मना कर दिया और उस पर तंज कसते हुए कहा कि जो धर्म के पथ से हट जाए व असली यौद्धा नहीं होता।और तुझे हिन्दुओ पर इतनी ही दया है तो अपनी बेटी ब्याह दे।

बिना किसी राजा महाराजा के सहयोग से एक छोटे से किसान के बेटे गौकुला ने यह सब कर दिखाया।

अंत मे जो औरंगजेब बड़े बड़े राजा महाराजाओं से लड़ने नहीं आता था उसे एक किसान युवक से लड़ने आना पड़ा।

उसने पूरी ताकत गौकुला के आन्दोलन को दबाने में लगा दी।गौकुला अंतिम युद्ध 5 दिनों तक लड़ता रहा।हजारो हिन्दू शहीद हुए।हार देखकर माताओं ने अपनी बेटी के साइन में खंजर उतार दिया।पतियों ने पत्नियों के सीने में गोली उतार दी व रण में कूद पड़े थे।
इस तरह जौहर करके वीरांगनाओं ने अपना स्वाभिमान बचाया।

गौकुला व उनकी सेना ने हार देखकर मैदान नहीं त्यागा।हजारो युवा रण में शहीद हो गए।बाकियो को औरंगजेब ने बंदी बना लिया।

औरंगजेब से अंतिम तिलपत युद्ध 3 दिन तक लगातार चला।गौकुला व उनके साथियों को बंदी बनाकर आगरा दरबार मे ले जाया गया।

गौकुला व उनके ताऊ उदयसिंह सिंघी पर इस्लाम स्वीकारने के लिए दबाव बनाया गया।लेकिन उन्होंने आंखों में आंखे डालकर कहा कि जो तू कर रहा है यही इस्लाम है तो इसे धर्म कहना पाप है और हिन्दू धर्म उनके शरीर के कतरे कतरे में बस हुआ है।

इसके बाद औरंगजेब ने 1 जनवरी 1670 को गौकुला व उनके ताऊ के शरीर के टुकड़े टुकड़े करवा दिए।वहां देखने वाले हर इंसान के मुख से है राम की ध्वनि निकल रही थी।लेकिन शहीद होने वाले वीरों का सिर गर्व से तना हुआ था व उनके चित पर प्रसन्नता ही दिखाई दे रगों थी।

ऐसे महान यौद्धा के बलिदान दिवस पर शत शत नमन।
वीर गौकुला सिंह, गौकुला जाट
Veer Gokul singh

4 comments:

  1. भाई इनका गोत्र हागा चौधरी(अग्रे) था इस बात का भी उल्लेख करो has प्लीज.....

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    1. किस बुक में हे यह

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    2. किस बुक में लिखा है गोत्र हगा है

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