Thursday, 4 January 2018

कोरेगांव दंगे पर अपने हिन्दू धर्म के लिए एक जाट के विचार

#महराष्ट्र_ब्राह्मण_दलित #हम_हिन्दुओ_के_लिए_सबसे_बड़ा_खतरा

महाराष्ट्र में जो भी हुआ वह बहुत ही अशोभनीय है और कुछ कम्युनिस्ट कन्हैया खालिद जिग्नेश जैसों के कारण हिन्दू आपस मे लड़ पड़े।क्या ब्राह्मण व दलित दोबरा से एक हो सकते हैं वहाँ।
मैं गलती किसकी है उस पर नहीं जाऊंगा-
वहां पर कुछ लोग अम्बेडकर जी के नाम पर 28000 लोगों की मौत का जश्न मना रहे थे जो अंग्रेजो की सेना से लड़ते हुए मारे गए या हार गए।
और यह जश्न मनाने का कारण यह है कि हराने वाले उनकी जाति से थे जो अंग्रेजो की तरफ थे।

तो क्या हम अपनी जाति के होने के कारण शहीदों का अपमान करेंगे? क्या हम अंग्रेजों को सही ठहराएंगे? क्या फिर अंग्रेजों से लड़ने वाली झलकारी बाई, राजा नाहर सिंह, झांसी की रानी, चन्द्रशेखर आजाद, राजा अमानी सिंह व भगत सिंह गलत थे।

निश्चय ही आप उसे योग्यता का उदाहरण पेश कर सकते हैं जब आपको अयोग्य कहे तो। लेकिन ये मत भूलिए कि जिनकी मौत का आप जश्न मना रहे हैं वे अंग्रेजो से लड़ते हुए शहीद हो गए थे और जिसके लिए आप खुश हैं वे अंग्रेजो की तरफ थे।और अंग्रेजो की जीत का सबसे बड़ा कारण उनके आधुनिक हथियार थे और भारतीय गुप्तचर व कुछ गद्दार ही थे।

फिर जश्न मना रहे लोगो पर कुछ लोगो ने हमला कर दिया उनसे मैं पूछना चाहूँगा कि आप खुद को हिन्दू रक्षक कहते हैं सबसे बड़ा आप स्वयं को मानते हैं तो आपने यह गलती क्यों की? क्या आप जानते हैं उस जगह के बारे में इस युद्ध के बारे में किसी को न पता था और अब यह पूरे भारत मे पता चला है।अब अम्बेडकर के नाम पर कुछ देशद्रोही लोग हमारे दलित भाइयो को भड़काएँगे। और सुना है कि उस अंग्रेजो की जीत का स्मारक वो पूरे देश मे बनवाने की कोशिश करेंगे जिससे हमारे ही अपने हमारी आंखों के सामने उन्ही की जीत का जश्न मनाएंगे जिसने भगत सिंह नाहर सिंह को फांसी दी, जिनके कारण झलकारी बाई, झांसी की रानी, शिवदेवी तोमर जैसी वीरांगनायें शहीद हुई।

आज फिर कहता हूं कि उन लोगो की चाल में मत उलझिए अगर हिंदुतब बचाना है तो अपनो से लड़ना ठीक नहीं।यह सत्य है कि आयोजक हमारे नहीं थे लेकिन दुनिया मे यही msg गया है कि ब्राह्मण दलित दँगा।

फिर एक न्यूज देखी थी जिसमे एक हिन्दू नाम से बना हुआ सन्गठन का नाम सुना। अब मैं जानना चाहता हूं कि क्या वह सन्गठन सच मे किसी हिन्दू हितैषी का था या जातिवादी का या फिर किसी वामपंथी का।उस घटना की सबसे बड़ी गलती थी यह।अगर ऐसी घटनाएं हो भी जाति है तो कम से कम ऐसे सँगठनो को जातीय लड़ाई में मत उतारो।दूसरा यह बताने की कोशिश की जा रही थी के दूसरी जातियां उनके साथ है जबकि धरातल पर ज्यादा ऐसा कुछ न होता लेकिन बाहर msg जाता है कि दलितों के साथ कोई नहीं है जबकि दलित भी कई जातियों का सन्गठन होता है यह भूल जाते हैं।

फिर सुना कि एक दलित के मरने पर हंगामा हुआ था और बाद में पता चला कि मरने वाला मराठा जाती से था।और हंगामा शांत हो गया।मतलब किसी को यह पता ही नहीं के कौन मरा है और पूरे महाराष्ट्र में दँगा हो गया।

असल मे यह सब चाल उन वामपंथीयो की थी जो इस घटना को बड़ी बनाना चाहते थे हमें हर बार लड़ाने के लिए और वे कामयाब भी हो गए।अब इसी जगह पर इसी मुद्दे पर ब्राह्मण व दलित का बार बार टकराव होता रहेगा और कुछ देशद्रोही खुश होते रहेंगे।

इसलिए दलित भाइयो से प्रार्थना है कि आपको गुमराह कर रहे गद्दारों को पहचानिए।और ब्राह्मण भाइयो से गुजारिश है कि आप हिंदुतब को सम्भालिए व ऐसी गलती करके इन चीजों को हाईलाइट न करिये व अपनो से ही लड़ाई सिहि नहीं होती।दूसरा आपके सँगतनो में भी कुछ देशद्रोहियों के एजेंट हो सकते हैं आपको भड़काने के लिए काम कर रहे हैं उन लोगो की व संगठनों की पहचान करिये व उनको सबक सिखाइये।

No comments:

Post a Comment