कैराना- कैसे मुलायम ने जाटों को बेवकूफ बनाया
आपको पहले तो यह बता दूं के मैं BJP का सुपपोर्टर नहीं हूं। अब सुनिए कैसे मुलायम ने जाटो को बेवकूफ बनाकर जीत हासिल की।
मुलायम सिंह कैराना में अपनी पार्टी की कंडिडेट तबुसम को उतारना चाहता था।
2013 के दंगे में मुलायम ने मुस्लिमो का साथ दिया जिसके कारण जाट मुलायम से बिल्कुल चिढ़े हुए थे।इस कारण तबसुम नहीं जीत सकती थी तो उसने RLD के निशान पर उसे टिकट दिलवा दी और भोले भाले जाटो ने उसे RLD का उम्मीदवार समझकर इमोशनल होकर वोट दे दिया।
अब आप ही सोचिए क्या अजीत सिंह जयंत को टिकट नहीं दे सकते थे। अगर जयंत BJP को हराता तो हमारा भी सीना चौड़ा होता। लेकिन नजीत सिंह ने तो टिकट ही हमारे दुश्मनों को दे दी।
अब आप खुद सोचिए कि आपके हाथों से कितना बड़ा गुनाह हो गया।
गौरव सचिन हम शर्मिंदा हैं,तेरे कातिल अभी जिंदा है।
तुझे नहीं मारा है मुल्लो ने, तुझे तो मारा है कौम के ही कुछ दल्लों ने
ये जीत मुलायम मायावती की और मुल्लो की है। और यह भी सत्य है कि अगर जयंत को वहां से टिकट मिलती तो मुस्लिम उसे वोट नहीं देते और वह हार जाता। मुस्लिमो ने RLD को नहीं बल्कि मुस्लिम तबसुम को वोट किया है।
और जो मुस्लिम तुंम्हे वोट नहीं दे सकते तुमने उन्हें ही वोट दे दिया। अब rld की सांसद तबसुम पर मुलायम हुकुम चलाएगा यानी जाट जिसे अपनी पार्टी समझ रहे हैं उस पर चौधर मुलायम की होगी
अपने ही बिकाऊ राजनेताओ ने हमें बेवकूफ बनाकर दुश्मनों को ही जीता दिया।
हालांकि कैराना में 5 लाख मुस्लिम वोट है, ढाई लाख दलित वोट हैं, और 3 लाख जाट गुर्जर ब्राह्मण राजपूत बनिये हैं।
यह कहना भी गलत है कि अकेले जाटो ने तबसुम को जिताया। 50% जाटों अपनी धर्म भक्ति निभाई व तबसुम मुलायम के विरोध में वोट किया। दलित वोट बैंक का खिसकना, व ब्राह्मण बनिया और राजपूत वोट बैंक का कम प्रतिशत में वोट डालना इसका मुख्य कारण है।
बहुत से हिन्दू उदासीन प्रवृति के हैं उन्हें वोट डालने आने में गर्मी लगती है यही मुख्य कारण रहा तबुसम की जीत का।
आपको पहले तो यह बता दूं के मैं BJP का सुपपोर्टर नहीं हूं। अब सुनिए कैसे मुलायम ने जाटो को बेवकूफ बनाकर जीत हासिल की।
मुलायम सिंह कैराना में अपनी पार्टी की कंडिडेट तबुसम को उतारना चाहता था।
2013 के दंगे में मुलायम ने मुस्लिमो का साथ दिया जिसके कारण जाट मुलायम से बिल्कुल चिढ़े हुए थे।इस कारण तबसुम नहीं जीत सकती थी तो उसने RLD के निशान पर उसे टिकट दिलवा दी और भोले भाले जाटो ने उसे RLD का उम्मीदवार समझकर इमोशनल होकर वोट दे दिया।
अब आप ही सोचिए क्या अजीत सिंह जयंत को टिकट नहीं दे सकते थे। अगर जयंत BJP को हराता तो हमारा भी सीना चौड़ा होता। लेकिन नजीत सिंह ने तो टिकट ही हमारे दुश्मनों को दे दी।
अब आप खुद सोचिए कि आपके हाथों से कितना बड़ा गुनाह हो गया।
गौरव सचिन हम शर्मिंदा हैं,तेरे कातिल अभी जिंदा है।
तुझे नहीं मारा है मुल्लो ने, तुझे तो मारा है कौम के ही कुछ दल्लों ने
ये जीत मुलायम मायावती की और मुल्लो की है। और यह भी सत्य है कि अगर जयंत को वहां से टिकट मिलती तो मुस्लिम उसे वोट नहीं देते और वह हार जाता। मुस्लिमो ने RLD को नहीं बल्कि मुस्लिम तबसुम को वोट किया है।
और जो मुस्लिम तुंम्हे वोट नहीं दे सकते तुमने उन्हें ही वोट दे दिया। अब rld की सांसद तबसुम पर मुलायम हुकुम चलाएगा यानी जाट जिसे अपनी पार्टी समझ रहे हैं उस पर चौधर मुलायम की होगी
अपने ही बिकाऊ राजनेताओ ने हमें बेवकूफ बनाकर दुश्मनों को ही जीता दिया।
हालांकि कैराना में 5 लाख मुस्लिम वोट है, ढाई लाख दलित वोट हैं, और 3 लाख जाट गुर्जर ब्राह्मण राजपूत बनिये हैं।
यह कहना भी गलत है कि अकेले जाटो ने तबसुम को जिताया। 50% जाटों अपनी धर्म भक्ति निभाई व तबसुम मुलायम के विरोध में वोट किया। दलित वोट बैंक का खिसकना, व ब्राह्मण बनिया और राजपूत वोट बैंक का कम प्रतिशत में वोट डालना इसका मुख्य कारण है।
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आपकी बात में दम है|
ReplyDeleteधन्यवाद श्रीमान जी वैसे जाट बाहुल्य क्षेत्र में बीजेपी ही जीती है।
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