Thursday 9 August 2018

17 बूचड़खाने तोड़ने वाले विश्व के सबसे बड़े गौरक्षक की जीवनी

वीर हरफूल सिंह-सबसे बड़ा गौरक्षक

गौरक्षक वीर हरफूल
गौरक्षक वीर हरफूल सिंह

जन्म-

वीर हरफूल का जन्म 1892 ई० में भिवानी जिले के लोहारू तहसील के गांव बारवास में एक जाट क्षत्रिय परिवार में हुआ था।उनके पिता एक किसान थे।
बारवास गांव के इन्द्रायण पाने में उनके पिता चौधरी चतरू राम सिंह रहते थे।उनके दादा का नाम चौधरी किताराम सिंह था। 1899 में हरफूल के पिताजी की प्लेग के कारण मृत्यु हो गयी। इसी बीच ऊनका परिवार जुलानी(जींद) गांव में आ गया।यहीं के नाम से उन्हें वीर हरफूल जाट जुलानी वाला कहा जाता है।

हरफूल की माता जी को उनके देवर रत्ना का लत्ता उढा दिया गया।
हरफूल अपने मामा के यहां तोशाम के पास संडवा(भिवानी) गांव में चले गये।
जब वे वापिस आये तो उनके चाचा के लड़कों ने उसे प्रोपर्टी में शेयर देने से मना कर दिया।जिस पर बहुत झगड़ा हुआ।और हरफूल को झूठी गवाही देकर पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया।और हरफूल पर थानेदार ने बहुत अत्याचार किये।
उनकी माता ने हरफूल का पक्ष लिया मगर उनकी एक न चली बाद में उनकी देखभाल भी बन्द हो गयी।

सेना में 10 साल

उसके बाद हरफूल सेना में भर्ती हो गए।उन्होंने 10 साल सेना में काम किया।उन्होंने प्रथम विश्वयुद्ध में भी भाग लिया। उस दौरान ब्रिटिश आर्मी के किसी अफसर के बच्चों व औरत को घेर लिया।तब हरफूल ने बड़ी वीरता दिखलाई व बच्चों की रक्षा की।अकेले ही दुश्मनों को मार भगाया।

फिर हरफूल ने सेना छोड़ दी।जब सेना छोड़ी तो उस अफसर ने उन्हें गिफ्ट मांगने को कहा गया तो उन्होंने फोल्डिंग गन मांगी।फिर वह बंदूक अफसर ने उन्हें दी।

थानेदार व अपने परिवार से बदला-
उसके बाद हरफूल ने सबसे पहले आते ही टोहाना के उस थानेदार को ठोक दिया जिसने उसे झूठा पकड़ा व टॉर्चर किया था।फिर उसने अपने परिवार से जमीन में हिस्सा मांगा तो चौधरी कुरड़ाराम जी के अलावा किसी ने सपोर्ट न किया और भला बुरा कहा।वे उनकी माता की मृत्यु के भी जिम्मेदार थे तो बाकियो को हरफूल ने ठोक दिया।
फिर हरफूल बागी हो गया उसने अपना बाद का जीवन गौरक्षा व गरीबों की सहायता में बिताया।
Harful Jat Julani Wala
Veer Harful Singh

गौरक्षा- सवा शेर

पहला हत्था तोड़ने का किस्सा-23July1930
टोहाना में मुस्लिम राँघड़ो का एक गाय काटने का एक कसाईखाना था।वहां की 52 गांवों की नैन खाप ने इसका कई बार विरोध किया।कई बार हमला भी किया जिसमें नैन खाप के कई नौजवान शहीद हुए व कुछ कसाइ भी मारे गए।लेकिन सफलता हासिल नहीं हुई।क्योंकि ब्रिटिश सरकार मुस्लिमों के साथ थी।और खाप के पास हथियार भी नहीं थे।
तब नैन खाप ने वीर हरफूल को बुलाया व अपनी समस्या सुनाई।हिन्दू वीर हरफूल भी गौहत्या की बात सुनकर लाल पीले हो गए और फिर नैन खाप के लिए हथियारों का प्रबंध किया।हरफूल ने युक्ति बनाकर दिमाग से काम लिया। उन्होंने एक औरत का रूप धरकर कसाईखाने के मुस्लिम सैनिको और कसाइयों का ध्यान बांट दिया।फिर नौजवान अंदर घुस गए उसके बाद हरफूल ने ऐसी तबाही मचाई के बड़े बड़े कसाई उनके नाम से ही कांपने लगे।उन्होंने कसाइयों पर कोई रहम नहीं खाया।सैंकआईड़ो मुस्लिम राँघड़ो को मौत के घाट उतार दिया।और गऊओ को मुक्त करवाया।अंग्रेजों के समय बूचड़खाने तोड़ने की यह प्रथम घटना थी।

इस महान साहसिक कार्य के लिए नैन खाप ने उन्हें सवा शेर की उपाधि दी व पगड़ी भेंट की।
गौरक्षक दिवस 27 जुलाई
विश्व गौरक्षक दिवस 27 July

उसके बाद तो हरफूल ने ऐसी कोई जगह नहीं छोड़ी जहां उन्हें पता चला कि कसाईखाना है वहीं जाकर धावा बोल देते थे।
उन्होंने जींद,नरवाना,गौहाना,रोहतक आदि में 17 गौहत्थे तोड़े।ऊनका नाम पूरे उत्तर भारत में फैल गया।कसाई उनके नाम से ही थर्राने लगे ।उनके आने की खबर सुनकर ही कसाई सब छोड़कर भाग जाते थे। मुसलमान और अंग्रेजों का क्साइवाड़े का धंधा चौपट हो गया।
इसलिए अंग्रेज पुलिस उनके पीछे लग गयी। मगर हरफूल कभी हाथ न आये।कोई अग्रेजो को उनका पता बताने को तैयार नहीं हुआ।

गरीबों का मसीहा-

वीर हरफूल उस समय चलती फिरती कोर्ट के नाम से भी मशहूर थे।जहाँ भी गरीब या औरत के साथ अन्याय होता था वे वहीं उसे न्याय दिलाने पहुंच जाते थे।उनके न्याय के भी बहुत से किस्से प्रचलित हैं।

हरफूल की गिरफ्तारी व बलिदान


अंग्रेजों ने हरफूल के ऊपर इनाम रख दिया और उन्हें पकड़ने की कवायद शुरू कर दी।

इसलिए हरफूल अपनी एक ब्राह्मण धर्म बहन के पास झुंझनु(रजस्थान) के पंचेरी कलां पहुंच गए। इस ब्राह्मण बहन की शादी भी हरफूल ने ही करवाई थी।
यहां का एक ठाकुर भी उनका दोस्त था।
वह इनाम के लालच में आ गया व उसने अंग्रेजों के हाथों अपना जमीर बेचकर दोस्त व धर्म से गद्दारी की।

अंग्रेजों ने हरफूल को सोते हुए गिरफ्तार कर लिया।कुछ दिन जींद जेल में रखा लेकिन उन्हें छुड़वाने के लिये हिन्दुओ ने जेल में सुरंग बनाकर सेंध लगाने की कोशिश की और विद्रोह कर दिया।सलिये अंग्रेजों ने उन्हें फिरोजपुर जेल में चुपके से ट्रांसफर कर दिया।
गौरक्षक हिन्दू वीर हरफूल जुलानी वाला

बाद में 27 जुलाई 1936 को चुपके से पंजाब की फिरोजपुर जेल में अंग्रेजों ने उन्हें रात को फांसी दे दी। उन्होंने विद्रोह के डर से इस बात को लोगो के सामने स्पष्ट नहीं किया। व उनके पार्थिव शरीर को भी हिन्दुओ को नहीं दिया गया। उनके शरीर को सतलुज नदी में बहा दिया गया।

इस तरह देश के सबसे बड़े गौरक्षक, गरीबो के मसीहा, उत्तर भारत के रॉबिनहुड कहे जाने वाले वीर हरफूल सिंह ने अपना सर्वस्व गौमाता की सेवा में कुर्बान कर दिया।

मगर कितने शर्म की बात है कि बहुत कम लोग आज उनके बारे में जानते हैं।कई गौरक्षक सन्गठन भी उनको याद नहीं करते। गौशालाओं में भी गौमाता के इस लाल की मूर्तियां नहीं है।

ऐसे महान गौरक्षक को मैं नमन करता हूँ।

जय हरफूल।जय गौमाता।
जय सूरजमल।जय भवानी।

23 comments:

  1. वीर हरफुल श्योराण जुलानी वाले को मदद व आशीर्वाद देने वाले चौधरी कुरड़ाराम जी मेरे सगे परदादा थे।
    गांव ओबरा तहसील लोहरू

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    1. Great family ke mamber ho app , congratulations

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    2. 🙏🙏🙏🙏🙏❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️

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    3. सच्ची भाई very good

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    4. भाई में भी ऐसे योद्धा को कोटि कोटि नमन करता हु में एक जाट हु मथुरा से

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  2. नमन वीर को जय गोमाता जय गोपाल

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  3. A very brave, Gau rakshak and A Hero of Jat community,we proud of Harphool Singh Jat

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  4. आपने ये नहीं बताया कि हरफूल जाट जुलानी आले की पत्नी का नाम भुरो था और वो गंगाना गांव मे अपने दोस्त के घर छोड़कर गए थे
    हरफूल जाट जुलानी वाले का परिवार आज भी है

    Rising rudra tv पर आप अगले हप्ते हरफूल जाट जुलानी आले की सगी पोती को इंटरव्यू देते हुए हरफूल से जुड़ी हुई और भी बहुत बातें सुनेंगे

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    1. Jabtk surj chand rahega jabtk
      tera nam rahega

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  5. Harphool Singh Uniya, ek aur banddokbaaj tha. Bhiwani ke gaon Sui, Loharu adi me sakriya tha. Koi unke bare me bata sakta hai. Wo Bond ke paas Aun gaon ke the

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  6. देश व धर्म के महान सपूत को नमन ।

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  7. Jai harfool jaat julani wale ki... hath 🙏🙏🙏 k naman

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  8. Harphool Jaat Ji mera sat sat naman.

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  9. Hum bhi kaum ke yadav hai jis din dimag satak gaya na in muslaman kasaion ka naam mita denge.Jai yadav jai jaat

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  10. देश के वीर सपूत को शत् शत् नमन ।

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  11. शत शत नमन
    जय हरफूल जाट जुलानी वाले कि.

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  12. हमने कहीं सुना है कि harful Jaat julani का एक दोस्त भी हुआ करता था जिसका नाम jaggu ahir था जिसने गौ रक्षा में इनके साथ रहा

    इन दोनों की कहानी हमारे बुजुर्ग सुनाते हैं कि जगु अहिर 15 सेर की लाठी रखता था और हरफूल जाट बंदूक रखता था

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  13. जय जय जय जाट कोम के देवता जय हरफूल जाट जुलानी आपको कोटि-कोटि नमन करते हैं 🙏

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  14. Jai harful jaat asli khstriya

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  15. हरफूल श्योराण जाट की पत्नी का नाम भुरू देवी था लेकिन हरफूल के नाम की उन्हें कोई सन्तांन नहीं थी (जो अपने आप को हरफूल की सन्तान बता रहे हैं वो उनके नाम से अपनी झुठी शान बनाना चाहते हैं ) हरफूल श्योराण के बलिदान पर्व(27.7.1936) के बाद शायद भुरू देवी ने दुसरी शादी कर लि होगी और उनकी ( दूसरे पति) कि सन्तांन हो शक्ती है ? ....

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  16. Sonu swami ka veer Harphool jaat ko sat sat naman 🙏🙏

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