Friday 31 August 2018

सिर कटने के बाद भी दुष्टों को धूल चटाने वाले धर्मयौद्धा

सिर कटे पर झुके नहीं धड़ लड़ी पर रुके नहीं

मुस्लिमो के हिंन्दुओ पर अत्याचार, मुगलों की सजाएं
शीश कटने के बाद भी धड़ लड़ती रही

आज हम आपको बताने जा रहे हैं भारत की एक क्षत्रिय वीर जाट जाति के बारे में जो सिर कटने के बाद भी अपने सनातन वैदिक हिन्दू धर्म की रक्षा के लिये लड़ते रहे।
इन वीरो ने धर्म हेतु अनेकों शीश दान कर दिए थे। तो सुनिए अपने पूर्वजों की कुछ वीर गाथाएं

1.हिन्दू वीर बिग्गाजी जाखड़- बिग्गाजी महाराज सिर कटने के बाद भी गौरक्षा के लिए लड़ते रहे थे।और गउओ को सुरक्षित पहुंचाकर अपने प्राण त्यागे थे।इनके अनेकों मन्दिर है लोजदेवता के रूप में पूजे जाते हैं।


2.हिन्दू वीर कुशाल सिंह दहिया- जब सिख गुरु तेग बहादुर सिंह का सिर कलम कर दिया गया था तब हिन्दू जाट वीर कुशाल सिंह दहिया और गुरु साहब की शक्ल मिलती थी इसलिए उन्होंने अपना सिर काटकर गुरु के सिर की जगह रख दिया था ताकि मुगलो को धोखा देकर गुरु के सिर को ले जाकर उनका अंतिम संस्कार कर सके।

फिर गुरु का सिर मुगलों के चंगुल से भाई जैता सिंह लेकर आये थे। हरियाणा के cm मनोहरलाल खट्टर जी ने इनकी प्रतिमा लगवाई है।

3.बाबा दीप सिंह- बाबा दीप सिंह सिख संधू गौत्री जाट थे।वे सिर धड़ से अलग होने पर भी लड़ते रहे थे।और आज उनके नाम पर गुरुद्वारा भी है। 


4.हिन्दू वीर तेजू सिंवर और 5. वीर रातू सिंवर- ये दोनों भाई अपनी बहन की रक्षा खातिर लंगड़खां व उसकी मुस्लिम सेना से अकेले लड़े थे सिर कटने के बाद भी लड़ते रहे व मुल्लो को भगाकर ही अंतिम सांस ली। इन्हें भी सिंवर वंश के कुलदेव के रूप में पूजा जाता है।


6.हिन्दू वीर रघुराम पालियाल- गौरक्षा की खातिर अंतिम सांस तक सिर कटने के बाद भी लड़ते रहे।120 मुल्लो को मार गिराया व गौमाता की रक्षा की। इनका भी इनकी स्थली कंटिया खींवसर में मन्दिर है।


7.हिन्दू वीर बख्ता बाबा- बख्ता बाबा सिर कटने के बाद भी गौरक्षा हेतु लड़े व बलिदान दिया। ये ढेरू गौत्री जाट थे।इनका मन्दिर है पूजा जाता है।


8.भाई तारु सिंह- जकारिया खान ने इन्हें इस्लाम अपनाने पर दबाव डाला।जब इन्होंने मना कर दिया तो जकरिया खान ने इनके केश समेत इनकी खोपड़ी उखड़वा दी थी।ये संधू गौत्री सिख जाट थे।


9.हिन्दू वीर गौकुला सिंह- औरँगेजेब के खिलाफ आवाज उठाने वाला पहले यौद्धा थे। इनके शरीर के टुकड़े टुकड़े कर दिए गए लेकिन इन्होंने अपना धर्म नहीं छोड़ा।


10.हिन्दू वीर कान्हा रावत- औरँगेजेब के अत्याचारो के खिलाफ लड़े। इन्हे जिंदा धरती में दफना दिया गया परन्तु अपना हिन्दू धर्म नहीं त्यागा।


11.हिन्दू वीर राजाराम सिंह- इन्होंने औरँगेजेब के खिलाफ लड़ाई लड़ी।अकबर की कब्र उखाड़कर उसकी अस्थियां जला दी थी।एक युद्ध धोखे से मारे गए। इनका सिर काटकर आगरा में टांग दिया गया था।ये सिनसिनवार गौत्री जाट थे।


12.हिन्दू वीर रामकी चाहर- ये राजाराम जी के साथ ही थे इनको बंदी बनाकर आगरा ले जाया गया अनेकों यातनाएं व सिर काटकर आगरा में टांग दिया गया।


13.हिन्दू वीर जोरावर सिंह- औरँगेजेब के खिलाफ लड़े। इनके शरीर के छोटे छोटे टुकड़े करके कुत्ते के सामने फेंक दिया गया था।ये सिनसिनवार गौत्री जाट थे।


14.हिन्दू वीर उदय सिंघा- ये वीर गौकुला के साथ ही थे। इनके शरीर के भी औरँगेजेब ने टुकड़े टुकड़े करवा दिए थे इस्लाम न स्वीकारने पर।


15.हिन्दू वीर सायरजी महाराज- गौरक्षा हेतु अपने प्राणों का बलिदान दे दिया।नैन गौत्री जाट थे।इनके मन्दिर हैं व लोकदेवता के रूप में पूजे जाते हैं।


इसीलिए ही तो कहा जाता है कि जाट मरा तब जानिए जब तेहरवीं होज्या।सके अलावा भी हमारे इत्तिहास में अनेकों किस्से मिल जाएंगे। शर्म आनी चाहिए उन लोगो को जो हमेशा नकारात्मक चीजे फैलाकर इस देशभक्त व धर्मभक्त कौम को बदनाम करते हैं। उन्हें ये कतई नहीं भूलना चाहिए कि जब रक्त पिपासु इस्लामी तलवारे हिंदुस्तान की तरफ बढ़ी तो इन्होंने अपनी छाती लड़ाकर हिन्दू धर्म की रक्षा की थी।
और सभी हिन्दू भाइयों से प्रार्थना है कि वामपंथियो के लिखे इत्तिहास को पढ़कर आपस मे न लड़ें हमारे पूर्वज वीर थे वीर जो सिर कटवा लेते थे लेकिन झुकाते नहीं थे।जो अकेली धड़ से लड़ते रहते थे लेकिन रुकते नहीं थे।

हर हर महादेव।
जय सूरजमल जय भवानी।

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