Thursday 9 August 2018

462 साल बाद दिल्ली से यह हिन्दू राजा वापिस लाया चितौड़ के अष्टधातु किवाड़- खिलजी ले गया था चितौड़ से दिल्ली

महाराजा जवाहर सिंह दिल्ली से वापिस लाये चितौड़ के अष्टधातु दरवाजे-हिन्दू वीर शिरोमणि महाराजा जवाहर सिंह

जाट महाराजा
महाराजा जवाहर सिंह

बात उस समय की है जब अलाउद्दीन खिलजी ने माता पद्मावती के लिए चितौड़ पर आक्रमण किया।लेकिन वह माता पद्मिनी की परछाई को छू भी नहीं सका।तो वह गुस्से में चितौड़ दुर्ग के अष्टधातु किवाड़ लूटकर दिल्ली ले आया और यहां किले में लगा दिए। उसके बाद किसी भी अन्य शासक ने वे माता पद्मावती के सम्मान का प्रतीक किवाड़ वापिस लाने की हिम्मत न की।

फिर 462 साल बाद हिन्दू वीर शिरोमणि महाराजा जवाहर सिंह ने दिल्ली से मुगल सत्ता उखाड़ने के लिए 1764 में आक्रमण किया।

उसके बाद महाराजा ने जब किले पर आक्रमण किया तो मुगलों ने किवाड़ बन्द कर दिए और अंदर से गोलाबारी करने लगे। केसरिया नाम के हाथी ने किवाड़ों पर 12 टक्कर मारी लेकिन दरवाजा नहीं टूट पाया क्योंकि हाथी का सिर लगने से उसमें चोट आ रही थी।सेना में निराशा छा गयी। हालात बदतर हो जा रहे थे।मुगलो की गोलाबारी के कारण सब ध्वस्त हो रहा था।

तब महाराजा की सेना में वीर सेनापति जाट पुष्कर सिंह(पाखरिया) सामने आए और उन्होंने कहा कि मुझे हाथी के सिर से बांध दीजिये और किवाड़ तोड़ दीजिये।
तो यह प्रार्थना स्वीकार कर ली गयी। हिन्दू वीर पुष्कर से बंधे हाथी ने किवाड़ों पर टक्कर मारी। बार बार टक्कर मारी तो पुष्कर सिंह का शरीर चकनाचूर हो गया। मगर पुष्कर के प्राण निकल गए उन्होंने आह तक न करी।किवाड़ के कुंडें टूट गए व दरवाजा नीचे गिर गया।

फिर हिन्दू वीर जाट सेना ने किले में धुंआधार लड़ाई शुरू कर दी।कीले को कब्जे में ले लिया।

जब महाराजा को पता चला कि ये वे ही किवाड़ है जो खिलजी चितौड़ से लाया था। तो हिन्दुओ पर लगे इस कलंक को मिटाने का फैसला किया व किवाड़ हाथी पर लाद दिए गए। माता पद्मावती के सम्मान और वीर पुष्कर सिंह के बलिदान की ये निशानी आज भी भरतपुर के दुर्ग पर चढ़ी हुई है।

उसके बाद चितौड़ ने उन किवाड़ों को लेने की कोशिश की तो महाराजा ने उन्हें किवाड़ उपहारस्वरूप देने का फैसला कर लिया। परन्तु चितौड़ ने किवाड़ों की कीमत अदा करने को कहा तो महाराजा जवाहर सिंह ने कहा कि वे उपहार के रूप में दे सकते हैं इस तरह कीमत पर नहीं वे कोई व्यापारी नहीं है। तो चितौड़ ने कहा कि हम तो कीमत पर ही लेके जाएंगे।
इस पर महाराजा बिफर पड़े और बोले कि फिर आप उसी तरह ले जाइए जिस तरह मैं दिल्ली से लेकर आया।मतलब युद्ध करके जीत ले जाइए।

उसके बाद चितौड़ की तरफ से कोई जवाब नहीं आया और वे दरवाजे आज भी भरतपुर दुर्ग की शोभा बढ़ा रहे हैं।और माता पद्मावती,वीर पुष्कर सिंह के बलिदान व महाराजा जवाहर सिंह के शौर्य की गाथा को याद दिला रहे हैं।

जय जवाहर जय बजरंगी।
जय सूरजमल जय भवानी।

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