गन्ना बेगम की कहानी-हिन्दू वीर शिरोमणि महाराजा जवाहर सिंह पर मरती थी गन्ना बेगम
ताजमहल को प्रेम की निशानी कहने वालों ये होता है प्रेम
गन्ना बेगम जो अली बेग कुली खान की बेटी थी।अली बेग ईरान के शाही वंश का था जो यहां अवध के नवाब के दरबार में रहता था।अगरा में गन्ना का परिवार रहता था।
ऐतिहासिक तथ्य बताते हैं कि गन्ना बेगम उस समय की विश्व सुंदरी थी।जब वह पान खाती थी तो उसके गले में पान की लालिमा साफ दिखाई पड़ती थी।बेगम के जन्म का नाम उसके रूप के अनुसार चांद बेगम था परंतु कोमल व सुंदर शरीर वाली बेगम गन्ने जैसी मीठी थी इसलिए वह गन्ना बेगम के नाम से मशहूर हुई। उस समय गन्ना के हुस्न पर दर्जनों राजा आह भरते थे।और उसे पाने के लिए हजारो प्रयास कर चुके थे।
एक बार गन्ना ने महाराजा जवाहर सिंह को देखा तो वह उनको पहली नजर में ही दिल दे बैठी।महाराज भी उस समय राजकुमारों में श्रेष्ठ थे और उनकी वीरता के किस्से भी गन्ना कई बार सुने थे।महाराज की भी जब नजर पड़ी तो वे भी गन्ना के हुस्न के मुरीद हो गए।
दोनो की नजरें मिली और बात आगे बढ़ती गयी। यह सिलसिला कई दिनों तक चलता रहा।आखिर जिस गन्ना को लोग देखने से तरसते थे वह महाराज से प्रेम करती थी। तो गन्ना के आशिकों के दिल जलने लगे।
इसी बिच अवध के नवाब सिराउद्दौला ने गन्ना को देखा तो वह भी आशिक बन बैठा और एकतरफा प्रेम करने लगा। उसने शादी का प्रस्ताव रखा लेकिन गन्ना तो पहले ही जवाहर सिंह पर मर मिटी थी।परंतु नवाब व उसके पिता अली बेग खान को यह पसन्द न आया।उसके पिता उसकी शादी मुस्लिम से ही करना चाहते थे।तो धक्के से नवाब के साथ शादी तय कर दी गयी।
गन्ना ने जवाहर सिंह से मुलाकात की व सारी बात बताई।राजकुमार जवाहर सिंह अपने पिता महाराजा सूरजमल से इस मुद्दे पर बहुत खौफ खाते थे।मगर फिर भी जवाहर ने योजना बनाई के वो रास्ते मे गन्ना का अपहरण कर लेगा। जब गन्ना को अवध भेजा जा रहा था तो फरुखाबाद आगरा के बीच रास्ते मे ही जवाहर ने वहां हमला कर दिया। सब कुछ सही चल रहा था लेकिन ऐन मौके पर महाराजा सूरजमल पहुंच गए। उन्हें किसी ने खबर दी थी के युवक जवाहर सिंह किसी काफिले को लूटने के लिए निकला है। महाराज बड़ी तेजी से 2,000 की सेना लेकर आ धमके और जवाहर सिंह को खूब धमकाया कि राहगीरों को ऐसे लूटने वाले घटिया काम हमारे क्षत्रिय जाट कुल को शोभा नहीं देते। मगर बेचारे जवाहर सिंह कैसे कहें कि वे दौलत नहीं इश्क लूटने आये थे।वे चुप चाप निराशा में डूबे हुए घोड़े पर चढ़कर वापिस भरतपुर की ओर चल पड़े। गन्ना की आंखों से आंसू बह रहे थे।
महाराज ने राहगीरों को सुरक्षा का इंतजाम किया और सकुशल अपने गंतव्य की ओर जाने का आदेश दिया।
गन्ना वहां पहुंची मगर उससे पहले ही नवाब का निकाह उम्दा बेगम से धक्के शाही से कर दिया जिसे अब्दाली अपनी बहन मानता था उसने नवाब को यह शर्त भी कही के वो दूसरा निकाह नहीं करेगा।इस तरह गन्ना यहां बच गयी।लेकिन नवाब ने उसे दासी बनाने की कोशिश की जो गन्ना ने स्वीकार नहीं की।
जब अब्दाली ने दिल्ली में लूट मचाई तब दिल्ली के नागरिकों को भरतपुर ने शरण दी थी।उन शरणार्थियों में ही उम्दा बेगम व गन्ना बेगम भी थी।यहां उनकी आपस में फिर मुलाकात हुई।गन्ना जवाहर सिंह को देखकर खिल उठी उसकी आँखों मे अश्रुधारा बह रही थी। दोनों ने फिर वही अपहरण की योजना बनाई पर इस बार भी पिता के सम्मान व लोकलाज के कारण जवाहर सिंह कामयाब न हो सके।और उन्होंने गन्ना को पाने का ख्वाब छिड़ दिया।
उसके बाद गन्ना एक दिन मौका अवध से भाग गई।महाराज जवाहर सिंह से फिर मिली परन्तु उस समय महाराज अपने पिता की मृत्यु के शोक में डूबे थे और दिल्ली से प्रतिशोध के लिए आक्रमण कर दिया था।तब महाराज ने गन्ना से असमर्थता जताई।गन्ना रूष्ट हो गयी और जवाहर सिंह से नाराज होकर ग्वालियर चली गयी।
वहां गन्ना सिख का भेष बनाकर रहने लगी।और गुनी सिंह नाम रख लिया।उसने महादजी सिंधिया के जासूस के रूप में काम किया। वह एक अच्छी यौद्धा भी थी उसने महादजी की एक दो युद्धों में महत्वपूर्ण सहायता भी की थी।वह एक अच्छी शायर भी थी।
एक दिन उसकी पोल खुल गयी।महादजी भी उनके हुस्न के मुरीद हो गए।परन्तु गन्ना सिर्फ जवाहर सिंह से प्रेम करती थी।इसलिए यहां भी बात न बन पाई। महादजी ने गन्ना की असली पहचान दुनिया के सामने नहीं खोली। और वह गुनी सिंह के रूप में ही काम करती रही।
एक दिन शिजाउदौला किसी मस्जिद में मीटिंग कर रहा था। तो जासूसी के लिए गन्ना वहां पहुंची परन्तु उसने उसे पहचान लिया और सैनिको को पकड़ने का आदेश दिया। गन्ना को पता था कि अब वह उसे पकड़ लेगा व अनेकों यातनाएं देगा। सलिये गन्ना ने अंगूठी में लगा हीरा चाट लिया और जवाहर सिंह के प्रेम में फनाह हो गयी।यह अंगूठी भी बताते हैं जवाहर सिंह की ही निशानी के तौर पर दी गयी थी।
महादजी ने भी अपना प्रेम निभाया और उसकी एक मजार बनवाई जो ग्वालियर से 35 km दूर नुराबाद में है।
उस पर उन्होंने गन्ना की मातृ भाषा फ़ारसी में "आह गम ए गन्ना" लिखवाया।
हिन्दू वीर शिरोमणि महाराज जवाहर सिंह के प्रेम में गन्ना श्रीकृष्ण की भक्त बन गयी थी क्योंकि कृष्ण भगवान महाराज के पूर्वज थे। वह हिन्दू बनने को भी तैयार थी।
परंतु जवाहर सिंह ने एक बेटे का फर्ज निभाया।जिस दौर में बेटा बाप को राज के लिए मार देता था उस दौर में उन्होंने पितृभक्ति दिखलाई।और वे अपने पिता की इतनी इज्जत करते थे कि उन्होंने कभी उनके सामने ये बात अपनी जुबान पर लाकर नहीं दिखलाई।महादजी ने भी अपने प्रेम का सम्मान किया व अपने राज्य में होते हुए भी गन्ना के साथ कोई धक्काशाही नहीं की। जबकि अवध के मुस्लिम नवाब ने उसे दासी की तरह रखने की कोशिश की।उसको यातनाएं भी दी। और उसके भय में उसे आत्म हत्या करनी पड़ी।उसके माता पिता ने भी उसे धक्के से दुराचारी लालची नवाब को एक तरिके से बेच दिया था।
यही फर्क हैं हमारी सनातन वैदिक हिन्दू संस्कृति और अरबी लुटेरों के संस्कारों में।
और आज जो बॉलीवुड के भांड लोग जोधा अकबर से फर्जी सीरियल बना रहे हैं वे इस हकीकत व इतने रॉयल राजाओ की और एक विश्व सुंदरी प्रेमकहानी पर क्यों चुप है जिसके पूरे तथ्य प्रमाण भी हैं।जिसमें रोचकता रॉयलिटी संस्कार हीरो विलेन सब हैं।
जय हिन्दू वीर शिरोमणि महाराजा जवाहर सिंह।
जय सूरजमल।जय भवानी।
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गन्ना-जवाहर का प्रेम |
ताजमहल को प्रेम की निशानी कहने वालों ये होता है प्रेम
गन्ना बेगम जो अली बेग कुली खान की बेटी थी।अली बेग ईरान के शाही वंश का था जो यहां अवध के नवाब के दरबार में रहता था।अगरा में गन्ना का परिवार रहता था।
ऐतिहासिक तथ्य बताते हैं कि गन्ना बेगम उस समय की विश्व सुंदरी थी।जब वह पान खाती थी तो उसके गले में पान की लालिमा साफ दिखाई पड़ती थी।बेगम के जन्म का नाम उसके रूप के अनुसार चांद बेगम था परंतु कोमल व सुंदर शरीर वाली बेगम गन्ने जैसी मीठी थी इसलिए वह गन्ना बेगम के नाम से मशहूर हुई। उस समय गन्ना के हुस्न पर दर्जनों राजा आह भरते थे।और उसे पाने के लिए हजारो प्रयास कर चुके थे।
एक बार गन्ना ने महाराजा जवाहर सिंह को देखा तो वह उनको पहली नजर में ही दिल दे बैठी।महाराज भी उस समय राजकुमारों में श्रेष्ठ थे और उनकी वीरता के किस्से भी गन्ना कई बार सुने थे।महाराज की भी जब नजर पड़ी तो वे भी गन्ना के हुस्न के मुरीद हो गए।
दोनो की नजरें मिली और बात आगे बढ़ती गयी। यह सिलसिला कई दिनों तक चलता रहा।आखिर जिस गन्ना को लोग देखने से तरसते थे वह महाराज से प्रेम करती थी। तो गन्ना के आशिकों के दिल जलने लगे।
इसी बिच अवध के नवाब सिराउद्दौला ने गन्ना को देखा तो वह भी आशिक बन बैठा और एकतरफा प्रेम करने लगा। उसने शादी का प्रस्ताव रखा लेकिन गन्ना तो पहले ही जवाहर सिंह पर मर मिटी थी।परंतु नवाब व उसके पिता अली बेग खान को यह पसन्द न आया।उसके पिता उसकी शादी मुस्लिम से ही करना चाहते थे।तो धक्के से नवाब के साथ शादी तय कर दी गयी।
गन्ना ने जवाहर सिंह से मुलाकात की व सारी बात बताई।राजकुमार जवाहर सिंह अपने पिता महाराजा सूरजमल से इस मुद्दे पर बहुत खौफ खाते थे।मगर फिर भी जवाहर ने योजना बनाई के वो रास्ते मे गन्ना का अपहरण कर लेगा। जब गन्ना को अवध भेजा जा रहा था तो फरुखाबाद आगरा के बीच रास्ते मे ही जवाहर ने वहां हमला कर दिया। सब कुछ सही चल रहा था लेकिन ऐन मौके पर महाराजा सूरजमल पहुंच गए। उन्हें किसी ने खबर दी थी के युवक जवाहर सिंह किसी काफिले को लूटने के लिए निकला है। महाराज बड़ी तेजी से 2,000 की सेना लेकर आ धमके और जवाहर सिंह को खूब धमकाया कि राहगीरों को ऐसे लूटने वाले घटिया काम हमारे क्षत्रिय जाट कुल को शोभा नहीं देते। मगर बेचारे जवाहर सिंह कैसे कहें कि वे दौलत नहीं इश्क लूटने आये थे।वे चुप चाप निराशा में डूबे हुए घोड़े पर चढ़कर वापिस भरतपुर की ओर चल पड़े। गन्ना की आंखों से आंसू बह रहे थे।
महाराज ने राहगीरों को सुरक्षा का इंतजाम किया और सकुशल अपने गंतव्य की ओर जाने का आदेश दिया।
गन्ना वहां पहुंची मगर उससे पहले ही नवाब का निकाह उम्दा बेगम से धक्के शाही से कर दिया जिसे अब्दाली अपनी बहन मानता था उसने नवाब को यह शर्त भी कही के वो दूसरा निकाह नहीं करेगा।इस तरह गन्ना यहां बच गयी।लेकिन नवाब ने उसे दासी बनाने की कोशिश की जो गन्ना ने स्वीकार नहीं की।
जब अब्दाली ने दिल्ली में लूट मचाई तब दिल्ली के नागरिकों को भरतपुर ने शरण दी थी।उन शरणार्थियों में ही उम्दा बेगम व गन्ना बेगम भी थी।यहां उनकी आपस में फिर मुलाकात हुई।गन्ना जवाहर सिंह को देखकर खिल उठी उसकी आँखों मे अश्रुधारा बह रही थी। दोनों ने फिर वही अपहरण की योजना बनाई पर इस बार भी पिता के सम्मान व लोकलाज के कारण जवाहर सिंह कामयाब न हो सके।और उन्होंने गन्ना को पाने का ख्वाब छिड़ दिया।
उसके बाद गन्ना एक दिन मौका अवध से भाग गई।महाराज जवाहर सिंह से फिर मिली परन्तु उस समय महाराज अपने पिता की मृत्यु के शोक में डूबे थे और दिल्ली से प्रतिशोध के लिए आक्रमण कर दिया था।तब महाराज ने गन्ना से असमर्थता जताई।गन्ना रूष्ट हो गयी और जवाहर सिंह से नाराज होकर ग्वालियर चली गयी।
वहां गन्ना सिख का भेष बनाकर रहने लगी।और गुनी सिंह नाम रख लिया।उसने महादजी सिंधिया के जासूस के रूप में काम किया। वह एक अच्छी यौद्धा भी थी उसने महादजी की एक दो युद्धों में महत्वपूर्ण सहायता भी की थी।वह एक अच्छी शायर भी थी।
एक दिन उसकी पोल खुल गयी।महादजी भी उनके हुस्न के मुरीद हो गए।परन्तु गन्ना सिर्फ जवाहर सिंह से प्रेम करती थी।इसलिए यहां भी बात न बन पाई। महादजी ने गन्ना की असली पहचान दुनिया के सामने नहीं खोली। और वह गुनी सिंह के रूप में ही काम करती रही।
एक दिन शिजाउदौला किसी मस्जिद में मीटिंग कर रहा था। तो जासूसी के लिए गन्ना वहां पहुंची परन्तु उसने उसे पहचान लिया और सैनिको को पकड़ने का आदेश दिया। गन्ना को पता था कि अब वह उसे पकड़ लेगा व अनेकों यातनाएं देगा। सलिये गन्ना ने अंगूठी में लगा हीरा चाट लिया और जवाहर सिंह के प्रेम में फनाह हो गयी।यह अंगूठी भी बताते हैं जवाहर सिंह की ही निशानी के तौर पर दी गयी थी।
महादजी ने भी अपना प्रेम निभाया और उसकी एक मजार बनवाई जो ग्वालियर से 35 km दूर नुराबाद में है।
उस पर उन्होंने गन्ना की मातृ भाषा फ़ारसी में "आह गम ए गन्ना" लिखवाया।
हिन्दू वीर शिरोमणि महाराज जवाहर सिंह के प्रेम में गन्ना श्रीकृष्ण की भक्त बन गयी थी क्योंकि कृष्ण भगवान महाराज के पूर्वज थे। वह हिन्दू बनने को भी तैयार थी।
परंतु जवाहर सिंह ने एक बेटे का फर्ज निभाया।जिस दौर में बेटा बाप को राज के लिए मार देता था उस दौर में उन्होंने पितृभक्ति दिखलाई।और वे अपने पिता की इतनी इज्जत करते थे कि उन्होंने कभी उनके सामने ये बात अपनी जुबान पर लाकर नहीं दिखलाई।महादजी ने भी अपने प्रेम का सम्मान किया व अपने राज्य में होते हुए भी गन्ना के साथ कोई धक्काशाही नहीं की। जबकि अवध के मुस्लिम नवाब ने उसे दासी की तरह रखने की कोशिश की।उसको यातनाएं भी दी। और उसके भय में उसे आत्म हत्या करनी पड़ी।उसके माता पिता ने भी उसे धक्के से दुराचारी लालची नवाब को एक तरिके से बेच दिया था।
यही फर्क हैं हमारी सनातन वैदिक हिन्दू संस्कृति और अरबी लुटेरों के संस्कारों में।
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हिन्दू वीर शिरोमणि महाराजा जवाहर सिंह |
और आज जो बॉलीवुड के भांड लोग जोधा अकबर से फर्जी सीरियल बना रहे हैं वे इस हकीकत व इतने रॉयल राजाओ की और एक विश्व सुंदरी प्रेमकहानी पर क्यों चुप है जिसके पूरे तथ्य प्रमाण भी हैं।जिसमें रोचकता रॉयलिटी संस्कार हीरो विलेन सब हैं।
जय हिन्दू वीर शिरोमणि महाराजा जवाहर सिंह।
जय सूरजमल।जय भवानी।
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteWht is the refrence of this story
ReplyDeleteAah Gam-e-Ganna.. Please visit gwalior once. U ll get to know the truth
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